सरकारी अस्पतालों में अब आपको लैब रिपोर्ट के लिए नहीं करना पड़ेगा इंतजार ।
प्रो.आरती लालचंदानी, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज
पैथालॉजिस्ट हों या न हों, नॉन डॉक्टर के हस्ताक्षर से भी लैब रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी। हालांकि नॉन डॉक्टर को मरीजों के इलाज से संबंधित कोई कमेंट या रिमार्क लिखने का अधिकार नहीं होगा। पैथालॉजिस्टों की कमी को देखते हुए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया बोर्ड ऑफ गवर्नर (एमसीआइ बीओआइ) ने ये निर्णय लिया है और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रलय को भी अवगत कराया है। इसकी अधिसूचना भी जारी हो गई है।
सुप्रीमकोर्ट ने तीन साल पहले एक आदेश में कहा था कि प्रयोगशाला (लैब) और डायग्नोस्टिक रिपोर्ट में पैथालॉजिस्ट और विशेषज्ञ डॉक्टर के हस्ताक्षर मान्य होंगे। हालांकि मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सकीय संस्थानों में एमएससी इन मेडिकल बायोकेमिस्ट्री/माइक्रोबायोलॉजी और संबंधित विषय में पीएचडी करने वाले कार्यरत हैं।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में नवंबर 2019 में एक कार्यक्रम में शिकरत करने आए एमसीआइ के सेक्रेटरी जनरल डॉ.आरके वत्स के समक्ष प्राचार्य प्रो. आरती लालचंदानी ने समस्या उठाई थी। बायोकेमिस्ट्री एवं माइक्रोबायोलॉजी विभागों की फैकल्टी ने भी अपना प्रजेंटेशन दिया था। इस पर डॉ. वत्स ने सभी पहलुओं के अध्ययन के बाद निर्णय का आश्वासन दिया था। इसके बाद एमसीआइ बोर्ड ऑफ गवर्नर की मीटिंग छह जनवरी को दिल्ली में हुई। इसमें विशेषज्ञों एवं अधिकारियों ने विचार-विमर्श किया। कहा गया कि देश में पैथालॉजिस्टों की काफी कमी है, जबकि लैब की संख्या काफी अधिक है। नए मेडिकल कॉलेज एवं चिकित्सकीय संस्थान खुल रहे हैं, जिससे समस्या और बढ़ेगी। संबंधित विषयों में एमएससी मेडिकल डिग्रीधारक जांच आदि करते हैं, इसलिए उन्हें पैथालॉजिकल जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने का अधिकार देना चाहिए। उन्हें मरीजों के इलाज से संबंधित अपना विचार देने का अधिकार नहीं होगा। इस पर सभी बोर्ड सदस्यों ने सहमति जताई।
इस समस्या को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष रखा था। लंबे समय से इसकी मांग भी हो रही थी। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ गवर्नर का अहम फैसला है। कॉलेज के दोनों विभागों की फैकल्टी को लाभ मिलेगा।