नन्ही सी जान को साँस से साँस मिली तो ‘धड़क’ उठी जिंदगी
उस अबोध ने आंख भी नहीं खोली थी कि जान पर बन आई। डिलीवरी रूम में सब हैरान-परेशान थे, कि क्या हुआ। इस मुश्किल घड़ी में स्टाफ नर्स ने हिम्मत नहीं हारी। धैर्य और संजीदगी के साथ अपने मुंह से सांस देकर नवजात की टूटती सांस को जोड़ने का संघर्ष शुरू किया। एंबुलेंस आने यानी तीन घंटे तक चले इस संघर्ष में सांस को सांस का सहारा मिला तो जिंदगी एक बार फिर धड़क उठी। सांस लेती बेटी की बलैयां लेकर मुस्कराता परिवार स्टाफ नर्स को धन्यवाद देते नहीं थक रहा था।
मामला तिर्वा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मैटरनिटी ¨वग का है। बुधवार सुबह यहां ड्यूटी पर स्टाफ नर्स मधु देवी तैनात थीं। कोतवाली क्षेत्र के उमरायपुर्वा गांव निवासी मनोज कुमार गर्भवती पत्नी संगीता देवी को लेकर पहुंचे। दो घंटे बाद संगीता ने बेटी हुई लेकिन वह रोई ही नहीं। स्वजन घबरा गए। मधु ने देखा तो पता चला कि उसकी सांस ही नहीं चल रही। मधु ने चार मिनट तक उसके सीने को पुश किया। नवजात ने लंबी सांस लेकर एक बार आंखें खोली लेकिन फिर प्राथमिक अवस्था में चली गई। मधु ने अंबू बैग से ऑक्सीजन देने का प्रयास किया, लेकिन गले में गंदगी होने से वह सांस नहीं ले पा रही थी। मधु ने अपने मुंह से नली लगाकर नवजात को सांस दी और उसके गले की गंदगी खींच ली। हालत में सुधार होने पर जिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाने की सलाह दी। स्वजनों ने एंबुलेंस को सूचना दी लेकिन एंबुलेंस तीन घंटे बाद आई। मधु अपने मुंह से नवजात को सांस देती रहीं। नवजात ने जब खुद सांस लेना शुरू किया तो उसे अंबू बैग से ऑक्सीजन दिया। बाद में एंबुलेंस जिला अस्पताल लेकर गई।