कैंसर से पीड़ित मरीजों को हुई प्रदूषण से आफत

हवा में मौजूद हानिकारक गैस और दूषित कणों ने कैंसर रोगियों का दर्द बढ़ा दिया है



हवा में मौजूद हानिकारक गैस और दूषित कणों ने कैंसर रोगियों का दर्द बढ़ा दिया है। उनका ऑक्सीजन लेवल दिन ब दिन कम होता जा रहा है, जिससे उनके सेल्स बनने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। कीमो और रेडिएशन के बाद सेल्स के लिए आक्सीजन का स्तर सही होना आवश्यक है।


सबसे अधिक समस्या फेफड़ा, नाक, कान, गला, मुख कैंसर रोगियों को हो रही है। जेके कैंसर संस्थान में काफी संख्या में मरीज इस तरह की समस्या लेकर आ रहे हैं। डॉक्टर उन्हें सुबह और शाम के समय घर से बाहर न निकलने की सलाह दे रहे हैं। डॉ. जितेंद्र वर्मा के मुताबिक वायु प्रदूषण सीधे तौर पर कैंसर रोगियों को प्रभावित नहीं करता है। उनके ठीक होने की दर धीमी हो जाती है। इसी बीच ट्यूमर अधिक सक्रिय हो जाता है। संक्रमण वाले हिस्से में तेजी से हमला शुरू कर देता है। कानपुर मंडल में सबसे अधिक मुख के कैंसर रोगी मिलते हैं। अधिकतर मध्यम या उससे नीचे के परिवार के होते हैं। जेके कैंसर संस्थान ने ऑक्सीजन के अतिरिक्त सिलेंडर मंगवाए हैं। रोगियों को वायु प्रदूषण में एहतियात रखने के लिए कहा जा रहा है।


हानिकारक गैसों का स्तर कम न होने से वायु प्रदूषण अब भी शहरवासियों की सांसों में जहर घोल रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से गुरुवार को जारी रिपोर्ट में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) बेहद खराब मिली।


कानपुर देश का सातवां सबसे प्रदूषित शहर हो गया है। सुबह के समय चली हल्की हवाओं ने प्रदूषित गैसों को कुछ देर के लिए प्रभावित किया लेकिन दोपहर और फिर शाम तक स्थिति बदतर हो गई। पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5), नाइट्रोजन डाईऑक्साइड (एनओटू) और सल्फर डाईऑक्साइड (एसओटू) की मात्र खतरे के निशान से काफी ऊपर पाई गई। यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. फ्रैंक्लिन के मुताबिक वायु प्रदूषण हवा की गति पर निर्भर कर रहा है। दो दिन तेज हवा चलने से वायु प्रदूषण का स्तर कम हो गया था। मौसम में गर्मी बढ़ने पर भी दूषित गैसों के स्तर में कमी आएगी।