भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ी इमारतें झरने लगीं दीवारे

निगरानी करने वालों को दे दी जांच,मिली धांधली 



कानपुर: 2008 में लाला लाजपतराय अस्पताल (हैलट) परिसर में नहर के ठीक बगल में टाइप-वन, टाइप-टू, टाइप-थ्री और टाइप-फोर आवासीय टावर और बाउंड्रीवाल का निर्माण करने के लिए कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज (सीएंडडीएस) को जिम्मेदारी दी गई थी। 14.17 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए, लेकिन काम आधा-अधूरा कराया गया।


12 साल बीत जाने के बावजूद काम अधूरा ही है। टाइप-वन के 20 ब्लॉक का आवासीय परिसर बेहद घटिया बना है। वर्ष 2017 में इसे हैंडओवर किया गया। छह माह से कर्मचारी रह रहे हैं। भवन में सीलन आ चुकी है। दीवारें दरक रही हैं, फर्श भी टूट चुके हैं। छतों का प्लास्टर गिर रहा है। तीन मंजिला भवन का ड्रेनेज सिस्टम ध्वस्त है। सड़क निर्माण आज तक हुआ ही नहीं।


सीएंडडीएस के अवर अभियंता गोपाल का कहना है कि आज तक एक करोड़ छह लाख रुपये का भुगतान ही नहीं हुआ है। इस वजह से काम अधूरा है। गड़बड़ी की बात पर कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।


कानपुर: नर्वल तहसील बनने के बाद शासन ने टोंस में 5.40 करोड़ रुपये से सीएचसी निर्माण की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निगम (सिडको) को दी। निर्माण के बाद दीवारें दरकीं तो भवन निर्माण में धांधली की शिकायत मंडलायुक्त से की गई। उनके आदेश पर संयुक्त निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. करन सिंह एवं उनकी टीम ने जांच की। प्राथमिक जांच में गड़बड़ी भी मिली। अब जांच स्वास्थ्य विभाग के सहायक इंजीनियर एवं जूनियर इंजीनियर कर रहे हैं। इनके पास ही भवन निर्माण के दौरान निगरानी का जिम्मा था।


जीर्णोद्धार में खपाए 2. 17 करोड़ रुपये : राजकीय जेके कैंसर संस्थान के ठीक पीछे स्थित नर्सिग कॉलेज परिसर में मेडिकल कॉलेज का पुराना फार्मेसी भवन था। इसके जीर्णोद्धार के लिए शासन से वर्ष 2013 में 2.17 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए। निर्माण का जिम्मा यूपी सिडको को दिया गया। निर्माण एजेंसी ने छोटे से भवन के जीर्णोद्धार में 2.17 करोड़ रुपये खपा दिए। ठीकेदार ने आधा-अधूरा काम किया। तत्कालीन विभागाध्यक्ष ने गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए शासन से शिकायत की थी। थर्ड पार्टी आडिट भी कराया गया। फिलहाल दो साल से भवन हैंडओवर लेने के लिए फार्मेसी विभाग के अधिकारी तैयार नहीं हैं।