अमित शाह ने कहा अब होगा आईपीसी में बदलाव
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि ब्रिटिश राज में बने भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) जैसे कानून अब अप्रासंगिक हो चुके हैं। सरकार इनमें आमूलचूल परिवर्तन करेगी।
पुलिस मुख्यालय में आयोजित दो दिवसीय 47वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस के समापन सत्र में शाह ने कहा कि पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने आइपीसी, सीआरपीसी में संशोधन का मसौदा तैयार कर गृह मंत्रलय को भेज दिया है लेकिन मुङो कोई जल्दी नहीं है। ऐसे कानून सौ-डेढ़ सौ वर्षों में एक बार बदले जाते हैं। इन कानूनों को आधुनिक संदर्भों में सरल, सुचारु और लोकाभिमुख कैसे बनाया जाए, इसके लिए प्रत्येक राज्य के पुलिस महानिदेशक से लेकर बीट कांस्टेबल तक गृह मंत्रलय को अपने सुझाव दे। बदलाव के मसौदे को वेबसाइट पर सार्वजनिक भी किया जाएगा। कानून के विशेषज्ञों के सुझाव भी लिए जाएंगे।
मिल सकेंगे रेडीमेड पुलिस कार्मिक : पेशेवर और प्रशिक्षित पुलिस कार्मिकों की कमी को दूर करने के लिए शाह ने रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय स्थापित किए जाने की भी घोषणा की जिसके लिए केंद्र सरकार विधेयक लाएगी। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में पुलिस विश्वविद्यालय नहीं है, वहां इनसे संबद्ध कॉलेज स्थापित किया जाएगा। कक्षा दस उत्तीर्ण कर चुके जो बच्चे पुलिसिंग में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं, वे इनमें पढ़ सकते हैं। इस विश्वविद्यालय में फोरेंसिक साइंस, कानून, अभियोजन, विवेचना और पुलिस थानों के संचालन की पढ़ाई होगी। जो छात्र यहां से पढ़कर निकलेंगे उन्हें पुलिस भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी क्योंकि वे 'रेडीमेड मैटीरियल' होंगे।
अपराधियों को सजा दिलाने में आएगी तेजी : देश में अपराधियों को सजा दिलाने की दर बेहद कम होने से चिंतित शाह ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाने जा रही है। सात साल से अधिक सजा वाले संगीन आपराधिक मामलों में फोरेंसिक साक्ष्यों को जुटाना अनिवार्य होगा।