अब प्लास्टिक की जगह कुल्हड़ व मिट्टी के बर्तनों में चाय, अन्य खाने-पीने का सामान मिलेगा ।

रेल प्रशासन ने देशभर के चार सौ स्टेशनों का चयन किया है जहां मिट्टी से बने बर्तनों का प्रयोग किया जाना है।



नई दिल्लीनई दिल्ली सहित राजधानी के अन्य बड़े स्टेशनों पर अब यात्रियों को पर्यावरण अनुकूल बर्तनों में खाने-पीने का सामान मिलेगा। उन्हें प्लास्टिक के कप-प्लेट की जगह कुल्हड़ व मिट्टी के बर्तनों में चाय, लस्सी और अन्य खाने-पीने का सामान परोसा जाएगा।


रेल प्रशासन ने देशभर के चार सौ स्टेशनों का चयन किया है जहां मिट्टी से बने बर्तनों का प्रयोग किया जाना है। इसमें उत्तर रेलवे के 25 स्टेशन शामिल हैं। खादी और ग्राम उद्योग आयोग (केवीआइसी) के सहयोग से इसे लागू किया जा रहा है। इससे प्लास्टिक के प्रयोग को रोकने में मदद मिलेगी। वाराणसी और रायबरेली रेलवे स्टेशनों पर जनवरी से ही मिट्टी से बने बर्तनों का प्रयोग किया जा रहा है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इन दोनों स्टेशनों पर प्लास्टिक कचरा से निपटने में मदद मिली है। इसे देखते हुए अब ऐसी व्यवस्था चार सौ रेलवे स्टेशनों पर लागू होगी, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ ही प्लास्टिक के उपयोग पर अंकुश लगेगा। रेल प्रशासन दो अक्टूबर से एक बार प्रयोग में आने वाले प्लास्टिक पर पूरी तरह पाबंदी लगाने की घोषणा भी कर चुका है। इसे लेकर उत्तर रेलवे के चीफ कॉमर्शियल मैनेजर (कैटरिंग) ने पांचों रेल मंडलों को पत्र जारी कर दिया है। रेलवे अधिकारियों को अपने क्षेत्र में स्थित केवीआइसी के अधिकारियों से संपर्क में रहने की सलाह दी गई है, ताकि स्टेशनों पर कुल्हड़ व अन्य सामान की आपूर्ति में दिक्कत नहीं हो। केवीआइसी कुम्हारों को इलेक्ट्रिक चाक वितरित कर रहा है, ताकि उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ सके। सभी मंडलों से इस योजना को लागू करने के बाद तीन अक्टूबर तक रिपोर्ट देने को भी कहा गया है, ताकि व्यावहारिक कठिनाइयों को दूर किया जा सके। इसे लेकर अखिल भारतीय रेलवे खानपान लाइसेंसी वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष र¨वद्र गुप्ता का कहना है कि पर्यावरण को ध्यान में रखकर दिल्ली के स्टेशनों पर वेंडर पिछले कई माह से पॉलीथिन का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। हालांकि, प्लास्टिक के बोतल में पानी आपूर्ति का विकल्प भी तलाशने की जरूरत है। इसकी जगह टेट्रा पैक का इस्तेमाल किया जा सकता है।