अब मिशन मेन से एक कदम दूर चंद्रयान7 सितंबर को इसरो रचेगा इतिहास
भारतीय अंतरिक्ष सी एजेंसी (इसरो) ने सोमवार को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से विक्रम लैंडर को सफलतापूर्वक अलग किया। आपको बता दें जय कि इससे पहले रविवार शाम चंद्रयान-2 के पांचवें और अंतिम कक्षा परिवर्तन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, अंतरिक्ष यान का कक्षा परिवर्तन शाम 6.21 बजे शुरू हुआ। इसके लिए ऑनबोर्ड प्रोपल्सन प्रणाली का इस्तेमाल 52 सेकेंड के लिए किया गया। यह 119 किमी गुणा 127 किमी की कक्षा में पहुंच गया। अंतरिक्ष यान के सभी मानक सामान्य हैं। अगला महत्वपूर्ण अभियान, अंतरिक्ष यान से लैंडर विक्रम का अलग हो गया है। विक्रम के अलग होने के बाद 3 व 4 सितंबर को दो डि-ऑर्बिटल ऑपरेशन होंगे। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को भारत के भारी रॉकेट जियोसिनक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हिकिल-मार्क 3(जीएसएलवी एमके3) से अंतरिक्ष में छो?। गया था। अंतरिक्ष में तीन खंड हैं, जिसमें आर्बिटर (2,379 किग्रा वजनी, आठ पेलोड), लैंडर विक्रम% (1.471 किग्रा, चार पेलोड) व रोवर %प्रज्ञान% (27 किग्रा, दो पेलोड) शामिल हैं।एक सेकंड से भी कम समय में विक्रम ऑर्बिटर से अलग हो गया। इसरो चेयरमैन के शिवन ने बताया कि यह तेज गति से अलग होगा पीएमओ के जैसे कोई उपग्रह लॉच किया गया हो। चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी झव पर उतरेगा। अभी तक भी देश यहां तक नहीं पहुंचा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा पांच साल बाद यहां अपने अंतरिक्ष यात्री उतारने की योजना बना रहा है। चंद्रयान-2 की लैंडिंग पर पूरी दुनिया की नजर है। नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री डोनाल्ड ए थॉमस ने रविवार को कहा कि पूरी दुनिया इसे टकटकी लगाए देख रही है। हम चंद्रमा के भूमध्य रेखा के पास उतर चुके हैं, लेकिन दक्षिण छव पर कभी नहीं गए। यह हमारे लिए बेहद खास है, क्योंकि यहां बर्फ मिलने की उम्मीद है। बर्फ मिली तो पानी ___ व उससे ऑक्सीजन मिल मिलने की संभावना है।